Monday, June 6, 2011

प्रिय भगवद भक्त
सादर जय श्री हरि !
समग्र चेतना हेतु अध्यात्म-ज्ञान-विज्ञानं , पर्यावरण संरक्षण ,भारतीय गो-वंश रक्षण-संवर्धन ,
धर्म - संस्कार - शिक्षा - साहित्य और संस्कृति के स्वाध्याय से आत्मविकास हेतु

पठनीय सर्वोत्तम पारिवारिक पत्रिका "कलियुग संजीवनी" हिंदी मासिक निरंतर प्रेषित की जा रही है.
आज के इस भोतिकतावादी युग में हम जो प्रयत्न कर रहे है वह समय की जरुरत के आगे कुछ भी नहीं

है आप भी चाहें तो...........
'भारतीय समाज में संस्कार निर्माण के माध्यम से पुनरुथान"
के इस अभिनव प्रयोग में सक्रिय सहभागी बनकर असीम

भगवत्कृपा,बुजुर्गों की दुवायें मात्री शक्ति की आशीष, सक्रीय सहयोगियों का साथ,

युवजनों के आकर्षण, बालकों की श्रद्धा के साथ-साथ तन की स्फूर्ति,
मन
की शांति, उत्तम संस्कार, विचारों में सयंम, जीवन में सरलता ,विश्वास में शक्ति ,
चतुर्दिक सफलता , आर्थिक सम्पन्नत्ता ,समृद्ध- स्नेहिल-परिवार ,समाज में सम्मान ,
स्थाई सुख पा सकते है >
- "कलियुग संजीवनी" द्वारा अध्यात्म ज्ञान-विज्ञानं , शिक्षा-प्रसार , संस्कार-निर्माण ,

पर्यावरण-संरक्षण , भारतीय गो-वंश रक्षण-संवर्धन , सत साहित्य-प्रकाशन-प्रकल्पों में
तन -मन-धन से सहयोग कर ! #
2- अपने अनुभवों से मार्गदर्शित कर !
- "कलियुग संजीवनी" में अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान के विज्ञापन से पत्रिका को
आर्थिक संबल तो प्रदान करेंगे ही समाज को आपके सामर्थ्य का व्यापक परिचय मिलेगा
जिसका आपको चतुर्दिक लाभ मिलना तय है। *
-आप "कलियुग संजीवनी" विशिस्ट संरक्षक /संरक्षक / परिवार विशिस्ट सदस्य / परिवार सदस्य बनकर पत्रिका के प्रसारमें मह्त्व भूमिका निभा सकते है. **
-आप "कलियुग संजीवनी" के अधिकाधिक सदस्य बनाकर हमारे प्रयासों को सार्थकता प्रदान कर सकते है.
-आप "कलियुग संजीवनी" से सेवा संस्थानों को जोड़कर कार्य करने के लिए प्रेरित कर
सकते है जिसकी आज हमें सबसे ज्यादा जरुरत है.
- आप समय-समय पर "कलियुग संजीवनी" में सेवा संस्थानों के सेवा कार्यों की जानकारी
देकर अन्य लोगों